कभी मेहमान तो कभी मेजबान, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस तरह देखा था बनारस

स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी, देश के पहले प्रधानमंत्री और बच्चों के चाचा नेहरू का बनारस से कुछ अलग सा रिश्ता रहा। वह देश राजनेता, कार्यकर्ता और मेहमान के अलावा मेजबान बनकर भी बनारस आए थे।

स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी, देश के पहले प्रधानमंत्री और बच्चों के चाचा नेहरू का बनारस से कुछ अलग सा रिश्ता रहा। वह देश के पहले प्रधानमंत्री के अलावा राजनेता, कार्यकर्ता और मेहमान के अलावा मेजबान बनकर भी काशी आए थे। पुरानी तस्वीरें और संस्मरण पं. जवाहरलाल नेहरू के इस अंदाज को अक्सर याद किया करते हैं।

काशी विद्यापीठ के राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश कुमार बताते हैं कि पं. नेहरू का बनारस से गहरा संबंध था। नेहरू 1910 के अंत से ही बनारस आते रहे। बताया कि महामना मालवीय जी मोतीलाल नेहरू के मित्र थे। इस नाते वह जवाहरलाल नेहरू पर बड़ा स्नेह रखते थे। वह 1941 के बीएचयू के रजत जयंती समारोह में शरीक हुए थे जिसमें महात्मा गांधी मुख्य अतिथि थे।

अप्रैल-1942 में रुइया हॉस्टल के मैदान में उन्होंने छात्रों के समक्ष ओजपूर्ण भाषण दिया था। 1946 में मालवीय जी की मृत्यु से पहले भी नेहरू उनसे मिलने आए थे और भारत की आजादी के तय हो चुके फैसले के बारे में उन्हें बताया था। 1961 में महामना के शताब्दी समारोह में प्रधानमंत्री के रूप में बीएचयू आए नेहरू ने यादगार भाषण किया था। प्रधानमंत्री के रूप इसके बाद भी वह कई बार बीएचयू आए।

1921 में काशी विद्यापीठ की स्थापना के दिन भी बापू के साथ मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल भी काशी में थे। काशीराज परिवार के साथ उनके करीबी रिश्ते थे। बनारस आने पर वह अक्सर नदेसर पैलेस में रुका करते थे।

यहां विजिटर बुक में 17 जुलाई 1950 और 18 जनवरी 1952 को नेहरू जी के हस्ताक्षर बाकायदा फ्रेम कराकर रखे गए हैं। इसके साथ ही यहां नेहरू जी की शीर्षासन करते तस्वीर के अलावा काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह और इंदिरा गांधी के साथ अलग-अलग तस्वीरें सहेजी गई हैं। अपने ग्रंथ ‘भारत एक खोज’ में नेहरू जी ने सारनाथ का उल्लेख भी किया है।

मालवीय जी के निधन पर भेजा था शोक संदेश

बीएचयू स्थित मालवीय भवन के मानद निदेशक प्रो. उपेंद्र पांडेय बताते हैं कि मालवीय जी के निधन के बाद 15 नवंबर 1946 को बनारस के प्रमुख समाचार पत्र में नेहरू का शोक संदेश प्रकाशित हुआ था। उन्होंने कहा था कि ‘हमे अत्यंत शोक है कि अब हम उस उज्जवल नक्षत्र का दर्शन नहीं कर सकेंगे जिसने हमारे जीवन में प्रकाश दिया। बाल्यकाल से ही प्रेरणा दी तथा भारत से प्रेम करना सिखाया।’

सौज हिंदुस्तान

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