हमारे लेखकों को चाहिए कि वे जन-साधारण को ही अपना पाठक समझें और जो कुछ भी लिखें वह उनके लिए ही लिखें । इसका स्वाभाविक परिणाम यह होगा कि भाषा सरल हो जायगी। जब किसी भी भाषा में’ बनावट आने लगती है तो उसके नाश के दिन निकट आ जाते हैं। हमें हिदुस्तानी को उत्तर […]
Read More